पुराणोक्त काम्यकवन के डाकिनी क्षेत्र में भीमशङ्कर महादेव

काशीपुर की ऐतिहासिक प्रसिद्धि गोरखपुर में प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका 'कल्याण' के प्रथम रामायण अंक के लेखक बी. एच. वडेर के "रामकालीन भारतवर्ष" नामक लेख में लिखित महाभारत कालीन उज्जानक व गोविषाण नाम से प्राप्त हुई है।

शहर से दूर जो टूटी हुई तामीरें हैं

शहर से दूर जो टूटी हुई तामीरें हैं
अपनी रुदाद सुनाती हुई तसवीरें हैं
मेरे अशआर को अशआर समझने वालो
यह मेरे खून से लिख्खी हुई तहरीरें हैं
जाने कब तेज़ हवा किस को उड़ा लेजाये
हम सभी फर्श पे बिखरी हुई तस्वीरें हैं
ज़हन आज़ाद है हर क़ैद से अब भी मेरा
लाख कहने को मेरे पाँव में ज़न्जीरें हैं
ज़िन्दगी हम को वहां लाई है अहमर के जहाँ
जुर्म ही जुर्म है ताज़ीरें ही ताज़ीरें हैं

A Gazal From Ahmar Kashipuri By Jalis Siddiqui

आम चुनाव

आते हुए आम चुनाव को देखकर

हमारे मन में भी विचार आया

क्यों ना हम भी चुनाव लड़े

और राजनीती के chetra में ही आगे बढे

यदि जीत गए तो नाम और पैसा दोनों कमाएंगे

किन्तु दुर्भाग्य से यदि हार गए तो चुनाव तो हर साल हो रहे है

दुबारा भाग्य आजमाएंगे

कुछ sochkar घबराये

की जनता हमें कैसे स्वीकारेगी

अनुभव-हीन समझकर कही पत्थर तो नहीं मारेगी

फिर ये सोचकर ह्रदय को धाडस बंधाया

की आजकल डाकू, गुंडे सभी तो नेता बन रहे है

हमारी छवि तो साफ़ सुथरी है

हम तो नाहक ही डर रहे है

अग्नि देव

हे “अग्नि देव”तुम्हे नमस्कार, हे अग्नि देव तुम्हे नमस्कार,

सोने चांदी सेनहीं किन्तु काले बर्तन से कीया प्यार

 

आदि मानव नेपाषाण ठोंक करके तुम ही को खोजा था

उस अलप बुद्धिवाले ने शायद तुम्हारे use  को सोचा  था

 चूल्हे पर रहकरसवार तुम पानी को उब्लाते हो

 माचीस में होबंद फिर  भी तुम सीगरेट को सुलगाते हो

बीना आपके  लगेअधूरे बीडी सीग्रेट और सिगार

 

हे अग्नि देवतुम्हे नमस्कार, हे अग्नि देव तुम्हे नमस्कार

वर-वधु तुम्हीको शाक्षी मानकर कसमे खाते शादी की